Blurr Movie Review | सस्पेंस थ्रिलर फिल्म के शौकीन हो तो जरुर देखना

Blurr Movie Review


आपको एक कमाल की चीज़ बताऊँ जीसको अंग्रेजी भाषा में ट्विन टेलीपैथी बोलते है सिंपल शब्दों में समझाओ तो इसका मतलब ये है की दो जुड़वा लोग तो एक टाइम पे पैदा हुए वो एक दूसरे के दिमाग में क्या चल रहा है बिना कुछ बोले समझ जाते हैं, भले ही वो आमने सामने मौजूद ना हो तब भी एक स्पेशल टाइप का कनेक्शन जीसको डॉक्टर रियल लाइफ में मानने से साफ इनकार कर देते हैं साइंस में इसका कोई प्रूफ नहीं है, लेकिन फिल्मों में तो है और इसी मजेदार कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है तापसी पन्नू की लेटेस्ट फ़िल्म ब्लैक खतरनाक सस्पेंस जो आपके दिमाग से खेलने की पूरी ताकत रखती है, लेकिन पहले ही बता दू ये माल ओरिजिनल नहीं डुप्लिकेट है इसीलिए फ़िल्म पसंद आया तो क्रेडिट ओरिजनल को जरूर देना


कुलिया साइंस के नाम से एक स्पेनिश फ़िल्म है, जिसका पोस्टर जितना इंट्रेस्टिंग दिखता है, असलियत में फिर उससे भी ज्यादा भयानक है कहानी दो जुड़वां बहनों की है जिनका आपस में एक स्पेशल कनेक्शन है जैसे मैंने आपको पहले समझाया समेत उसे उसी टाइप का अब होता ये है की दिल्ली में रहने वाली एक बहन को अचानक रात में अपनी गली में कुछ घुटन सी महसूस होती है फटाफट दूसरी बहन को फ़ोन मिलाया जाता है, जिसका कोई जवाब नहीं आता और जैसे ही नैनीताल में उसके घर का दरवाजा तोड़ा जाता है, सामने उसकी लाश मीलती है फांसी के फंदे पर लटकी हुई अब एक कमाल की बात और सुनिए ये जो बहन है जिसकी मौत हुई है वो आँखों से पूरी तरह अंधी हो गई थी उसको इंतजार था किसी डोनर का जो उसको अपनी आंखें दे सके


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ठीक वैसे ही ये जो दूसरी बहन है इसको भी सेम बीमारी हो गई है प्रोग्रेसिव विजन लॉस बोले तो धीरे धीरे आंख की रौशनी खत्म हो रही है जिसके बाद सबकुछ दिखने लगता है बट कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जानते है जब उसी घर के उसी कमरे में ठीक उसी जगह पे इस दूसरी बहन का पति भी फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिलता है इन शोर्ट कहानी से सुसाइड वाला ऐंगल खत्म ये दोनों सोचे समझे मॉडल्स हैं और किलर आजाद घूम रहा है, लेकिन उसे पकड़ेगा कौन ये मामूली सी लड़की जो खुद धीरे धीरे कुछ दिनों में पूरी तरह अंधी हो जाएगी, क्या पता अगले नंबर इसी का हो देखो बॉस घर की कहानी आपको सुनने में इसलिए अच्छी लगी क्योंकि ओरिजनल सॉन्ग प्यारा इसका कॉन्सेप्ट बहुत ही ज्यादा दिमाग को हिलाकर रखने वाला है


एक अच्छी सस्पेंस थ्रिलर बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत होती है एक ऐसी कहानी की जो आपने पहले किसी दूसरी फ़िल्म में ना देखी हो और बिहार की स्टोरी बिल्कुल ठीक वैसी ही है एकदम डिफरेंट, बिल्कुल यूनीक बॉलीवुड में ऐसा दिमाग लगाने वाला टॉपिक बहुत मुश्किल से बनता है सबसे ज्यादा मज़ा उसी फ़िल्म को देखने में आता है ना जिसमे शक की सुई थ्री सिक्सटी डिग्री घूमती है हर कैरेक्टर शरीफ भी है हर कैरेक्टर कातिल भी लड़ इस कन्फ्यूजन का पूरा फायदा उठाती है और कहानी में जब तक क्लाइमैक्स रिवील नहीं होता, आप सोच भी नहीं सकते कि उनका असली विलेन कौन होने वाला है


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तापसी पन्नू हमेशा कुछ अलग ट्राई करती है अपनी फिल्मों में जैसे लास्ट फ़िल्म दोबारा भी एक पावरफुल दिमाग को चैलेंज करने वाले सब्जेक्ट पर बेस्ड थी बट गडबड ये हो रही है कि धीरे धीरे तापसी के एफर्ट्स उनकी फिल्मों में कम हो रहे है बोले तो ऐक्टिंग परफॉरमेंस नैचरल कम बनावटी ज्यादा लगने लगा है, जिसका रीज़न वो खुद जानती होंगी या घर में भी आपका दिमाग तो सुन की कहानी में पूरी तरह उलझा हुआ है लेकिन तापसी की एक्टिंग आँखो को इतना सैटिस्फाइड नहीं करती और उनके डायरेक्टर उनकी ज्यादा मदद नहीं करने वाले क्योंकि स्क्रीन की शुरुआत में थोड़ा धीमा इधर उधर बिखरा टाइप का है ऐसा लगता है ओरिजिनल तो उनको देखकर बस वही सेम चीज़े छापने के चक्कर में वो फ़िल्म को एक ज़रा भूल गए कहानी बार बार रीसेट हो जाती है 


पिछले दिन से अगले सीन का कोई कनेक्शन नहीं है बस ओरिजिनल में था तो रीमेक में भी डाल देते है बाकी सस्पेंस थ्रिलर में अच्छे म्यूसिक का होना बहुत ज़रूरी होता है जो नॉर्मल जिनको भी स्पेशल बना सकता है लेकिन घर में वो चीज़ गडबड है तो यार मेरी तरफ से तो उनको मिलेंगे पांच में से ढ़ाई स्टार्स पहला तो मजेदार कहानी जो क्लाइमैक्स तक आपको बीज़ी रखेगी दूसरा, ये ट्विन टेलीपैथी वाले कॉन्सेप्ट का बढ़िया इस्तेमाल डुप्लिकेट सही नकल के लिए भी अकल चाहिए और आधा फालतू बॉलीवुड मिर्च मसाला लगाकर टाइम वेस्ट नहीं करना सिर्फ फ़िल्म की कहानी पर फोकस रहता हैं नेगेटिव में एक साल का या कमजोर स्क्रीनप्ले डायरेक्शन पर्फेक्ट नहीं है


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दूसरा तापसी थोड़ी कन्फ्यूज लगी फ़िल्म में उनका परफॉर्मेंस सैटिस्फाइड नहीं है 

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